नी‍तीश के महाराष्‍ट्र वाले बयान ने भाजपा नेताओं को दी खुशी


कई बार नेताओं के मुंह से निकले एक शब्द या एक वाक्य न सिर्फ तस्वीर का रुख पलट देते हैं, बल्कि उसका संदेश दूर तक जाता है। इस क्रम में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू करने का समर्थन करके विपक्ष की उम्मीदों पर एक तरह से पानी ही फेरा है। साथ ही प्रकारांतर से बिहार में सत्तारूढ़ राजग गठबंधन की दशा-दिशा को भी स्पष्ट करने की कोशिश की है।


भाजपा विपक्षी दलों के निशाने पर


महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर चल रही रस्साकसी और आखिरकार राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर भाजपा विपक्षी दलों के निशाने पर है। साथ ही राजग से शिवसेना के बाहर निकलने के बाद विपक्ष की निगाहें भाजपा के अन्य सहयोगी दलों के रुख-रवैये पर भी लगी हुई है। ऐसे में नीतीश कुमार के ताजा बयान ने एक तरह से यह इशारा कर दिया है कि बिहार में राजग गठबंधन को लेकर किसी भी तरह की कयासबाजी की फिलहाल कोई जरूरत नहीं है। सरकार न सिर्फ मजे में चल रही है, बल्कि आगे भी यह मेल-जोल कायम रहेगा।


खासकर विपक्ष को उम्मीद थी कि नीतीश राष्ट्रपति शासन की निंदा करेंगे। हालांकि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा। ऐसे में मुख्यमंत्री के बयान ने विपक्ष को निश्चित रूप से निराश किया होगा। उन्होंने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन का यह कहकर एक प्रकार से समर्थन किया कि इसके अलावा वहां कोई दूसरा विकल्प था ही नहीं। इसके ठीक एक दिन पहले भी जब पत्रकारों ने उनसे शिवसेना के राजग से नाता तोड़ने के बारे में पूछा था तो भी उन्होंने दो टूक लहजे में यह कहा था कि इस बात से उन्हें या फिर जदयू का आखिर क्या लेना-देना। मतलब कि नीतीश ने महाराष्ट्र के पूरे घटनाक्रम में भाजपा या वहां के राज्यपाल के फैसले का प्रकारांतर से समर्थन किया है। इससे बिहार में संशय के थोड़े बहुत जो बादल मंडरा भी रहे थे, वे फिलहाल छंट गए हैं। साथ ही यह बात भी साफ हो गई है कि बिहार में राजग एकजुट है।